Is it really important to have a big penis – Is It required ? लिंग बड़ा या छोटा होना या उसके आकार Size को लेकर पुरुष के मन में शंका पैदा होना स्वाभाविक होता है। इस शंका का समाधान होना कठिन होता है, क्योंकि इसके बारे में किसी से बात नहीं कर पाते हैं।
दोस्तों से शेयर करने पर मजाक बनने का डर होता है। सही जानकारी मिलना बहुत मुश्किल होता है। लिंग के साइज़ और आकार को लेकर यह चिंता कभी कभी डिप्रेशन का शिकार तक बना देती है।
कुछ लोग इसका फायदा उठाते हैं और कई प्रकार के तेल, दवा आदि बेचकर अच्छा पैसा बनाते है। लिंग की कमजोरी, लिंग में टेढ़ापन, गलत आदत के शिकार आदि नामों से युवा लड़कों को डरा कर महंगी दवा बेची जाती है।
पुरुष के मन में कहीं ना कहीं यह बात होती है कि वे महिला साथी को यौन संतुष्टि दे पाएंगे या नहीं। अधिकतर पुरुष यह सोच रखते हैं कि लिंग जितना बड़ा होता है उतना अच्छा होता है और यह यौन सम्बन्ध की सफलता के लिये जरुरी है । क्या यह सही है ? आइये देखें –
लिंग के काम (How Works Penis):
लिंग के मुख्य काम मूत्र को बाहर निकालना, यौन सुख की प्राप्ति तथा शुक्राणु को स्त्री के शरीर में प्रवेश कराने का होता है। लिंग का सिर या मुण्डक त्वचा से ढका होता है। यह त्वचा पीछे खिसक सकती है।
लिंग के नीचे स्क्रोटम नामक त्वचा के अन्दर शुक्राणु पैदा करने वाले टेस्टिकल होते है। टेस्टिकल दो होते है। इनमे एक छोटा और एक बड़ा हो सकता है।
लिंग के मुंह पर मौजूद छिद्र से मूत्र भी निकलता है और इसे रास्ते से शुक्राणु सहित वीर्य भी निकलता है। जब लिंग उत्तेजित अवस्था में होता है तब उसमें से मूत्र नहीं निकल पाता क्योकि पेशाब की नली पर दबाव पड़ने से वह रास्ता बंद हो जाता है।
प्रकृति ने यह व्यवस्था इसलिए की है ताकि मूत्र और वीर्य मिक्स नहीं हो। यदि ये दोनों मिक्स होते है पेशाब में मौजूद एसिड शुक्राणु को कमजोर बना सकते है।
पुरुष का लिंग यौवन काल यानी लगभग 16-17 वर्ष की उम्र में प्रवेश के बाद पूर्ण आकार ले लेता है। लिंग में स्पंज जैसे टिशु होते है जो यौन संबध के समय उत्तेजना के कारण रक्त से भर जाते है इससे लिंग कड़क और बड़ा हो जाता है। इसमें किसी प्रकार की हड्डी नहीं होती है। वीर्यपात होने के बाद लिंग शिथिल होकर वापस अपने सामान्य आकार में आ जाता है।
लिंग बड़ा, छोटा या टेढ़ा होना (Large, Small Or Slaunted Penis):
किसी भी पुरुष के वजन से, हाइट से या कदकाठी से लिंग के आकार का कोई सम्बन्ध नहीं होता है। लिंग के बारे में अज्ञानतावश कई प्रकार की शंका या वहम पैदा हो जाते है।
जब लिंग शिथिल होता है तब उसका लम्बाई 2 इंच से 4.5 इंच तक हो सकती है। यह आकार कम या ज्यादा भी हो सकता है। ठंडी हवा, ठंडा पानी, डर, चिन्ता के कारण लिंग सिकुड़ कर छोटा हो जाता है, गर्मी से या आराम करने से शिथिल लिंग थोड़ा बड़ा हो जाता है।
सामान्य तौर पर उत्तेजित अवस्स्था में लिंग की लम्बाई 5 इंच से 7 इंच तक हो सकती है। इससे कम या थोड़ी ज्यादा भी हो सकती है। जरुरी नहीं कि शिथिल अवस्था में लिंग का आकार छोटा है तो उत्तेजित अवस्था ने भी छोटा ही होगा।
इसी प्रकार ये भी जरुरी नहीं की शिथिल अवस्था में साइज़ बड़ा है तो उत्तेजित अवस्था में भी बड़ा ही होगा। कभी कभी लिंग शिथिल या उत्तेजित अवस्था में थोड़ा टेढ़ा भी हो सकता है।
यह प्राकृतिक रूप से ही ऐसा होता है। इससे किसी प्रकार की परेशानी नहीं होती अतः इसके इलाज की जरुरत नहीं होती है और ना ही यह यौन सम्बन्ध में बाधक होता है। कुछ लोग इस अज्ञानता का फायदा उठाकर अपना स्वार्थ पूरा करते है। अतः सावधान रहना चाहिए।
लिंग का आकार और यौन संतुष्टि (Penis Size And Satisfaction):
लिंग बड़ा हो यह हर पुरुष की इच्छा होती है। इसके पीछे सोच यह होती है कि इससे यौन सम्बन्ध में अधिक संतुष्टि और ख़ुशी मिलेगी। लेकिन क्या खुद को या महिला को बड़े लिंग से अधिक यौन संतुष्टि और ख़ुशी हासिल होती है। क्या महिलाएं बड़े लिंग वाले पुरुष की तरफ अधिक आकर्षित होती हैं। क्या बड़े लिंग से संतान उत्पन्न करने में सफलता की संभावना अधिक होती है। इन्हे जानना जरुरी है।
वीर्य व शुक्राणु (Semen And Sperm):
यौन सम्बन्ध में लिंग का काम महिला को शुक्राणु प्रदान करके संतान उत्पन्न करना तथा यौन सम्बन्ध के द्वारा खुद की और महिला साथी की यौन संतुष्टि प्राप्त करना होता है ।
जहाँ तक शुक्राणु प्रदान करने का सवाल है इसका लिंग के आकार से कोई सम्बन्ध नहीं है। एक बार शुक्राणु योनि के द्वार तक भी पहुँच जाये तो आगे की प्रक्रिया महिला के अंग पूरी कर लेते हैं। यह काम बहुत छोटा लिंग भी आसानी से कर सकता है।
पुरुष की यौन संतुष्टि (Male Sexual Satisfaction):
पुरुष का वीर्य स्खलित होने पर उसे यौन संतुष्टि और आनंद की प्राप्ति होती है। छोटा या बड़ा लिंग होने पर वीर्य स्खलित होने की अनुभूति में कोई फर्क नहीं होता। वीर्य की मात्रा या शुक्राणु की संख्या का भी इससे कोई सम्बन्ध नहीं है अतः पुरुष के लिए दोनों परिस्थिति समान हैं।
स्त्री की यौन संतुष्टि (Sexual Satisfaction Of Woman):
महिला योनी का साइज़ तीन इंच से पांच इंच तक होता है। योनी के मुंह से लेकर दो या तीन इंच तक गहराई का हिस्सा ही अधिक सेंसिटिव होता है। जहाँ घर्षण से महिला पार्टनर को यौन आनंद की प्राप्ति होती है। अतः उत्तेजित अवस्था में तीन इंच लम्बा लिंग भी स्त्री को पूर्ण संतुष्टि दे सकता है।
यौन संबंध में यदि एक महिला चरम सीमा पर पहुँच जाती है तो उसे यौन संतुष्टि हासिल होती है। किसी महिला को दो प्रकार से चरम सीमा प्राप्त होती है। एक भगांकुर क्लाइटोरिस Clitoral द्वारा तथा अन्य योनि Vaginal द्वारा।
योनि द्वारा चरम सीमा पर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम होती है। इस चरम सीमा के लिए लिंग का योनि के अंदर तक प्रवेश होना जरुरी होता है। लेकिन सामान्य रूप से अधिकतम महिलाएं क्लाइटोरिस द्वारा ही चरम सीमा हासिल करती हैं। जिसके लिए लिंग का अधिक लम्बा या मोटा होना आवश्यक नहीं होता है।
यौन आनंद (Sexual Pleasure):
यौन सम्बन्ध में आनंद की प्राप्ति माहौल, फोरप्ले, उत्तेजना और मानसिक स्थिति पर निर्भर होती है ना कि लिंग की लम्बाई या मोटाई पर। मोटे या पतले लिंग के आकार के अनुसार योनि अपना आकार ले लेती है। इसी से योनि में लिंग पर कसाव का अनुभव होता है।
योनि मे उत्तेजना के समय होने वाले स्राव के कारण यौन क्रिया आसान हो जाती है। यदि योनि में स्राव नहीं हो तो कैसा भी लिंग हो यौन क्रिया तकलीफ देती है। अतः लिंग के आकार से यौन आनंद प्रभावित नहीं होता।
स्त्री को पुरुष में क्या पसंद होता है (What Does A Woman Like In A Man):
कुछ सर्वे इस बार को प्रमाणित करते है की महिला को पुरुष में उसका व्यक्तित्व Personality, बुद्धिमानी Intelligence तथा हंसी मजाक करना Sence of Humor ज्यादा पसंद आता है।
लिंग का आकार शायद ही किसी स्त्री की प्राथमिकता होती है। महिलाओं के विचार से भी पुरुष अपने लिंग के आकार के बारे में अनावश्यक ही अधिक चिंता करते हैं। अर्थात लिंग के आकार को लेकर पुरुष के दिमाग में ही ज्यादा उथल-पुथल होती है, महिला के दिमाग में नहीं।
लिंग का बड़ा आकार पुरुष को आत्मविश्वास जरूर दे सकता है लेकिन यह यौन संतुष्टि और यौन सम्बन्ध में ख़ुशी की गारंटी कतई नही होता। अतः अपनी प्राकृतिक बनावट में खुश होकर विश्वास के साथ हर परिस्थिति का आनंद लेना सीखें। व्यर्थ के विचार और नीम हकीमों से खुद को बचाएं।
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