11 Benefits Of Neem : नीम Neem, Indian Lilac एक जाना पहचाना पेड़ है। नीम के पेड़ की पत्तियां, फूल, फल व उसकी गुठली,छाल, टहनी, गोंद आदि सभी औषधि के रूप काम आ सकते हैं।
नीम का दवा के रूप में उपयोग हजारों साल से होता आ रहा है। संस्कृत भाषा में इसे अरिष्ट Arisht कहते हैं। इसका अर्थ उत्तम, पूर्ण और अविनाशी होता है।
नीम में एंटी-सेप्टिक, एंटीवायरल, एंटी-पाइरेटिक, एंटी-इंफ्लेमटरी, एंटी-अल्सर तथा एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। देसी इलाज में गांवों में आज भी Neem का सफलता पूर्वक उपयोग किया जाता है। नीम की टहनी से झाड़फूंक और टोना टोटका करने वाले असल में नीम के प्रभाव का ही फायदा उठाते है।
यह मलेरिया, फ्लू, चिकन पॉक्स (माता) आदि के वायरस को रोकता है तथा कुछ मानसिक बीमारी में लाभदायक सिद्ध होता है।
नीम के उपयोग (Uses Of Neem):
दवा के रूप में (In The Form Of Medicine)-
नीम की पत्ती Neem ki patti लेप्रोसी, आँख की बीमारी, नकसीर, पेट के कीड़े, पाचन, भूख में कमी, त्वचा के रोग, दिल और खून की नसों की बीमारी, बुखार, डायबिटीज, मसूड़े, लिवर आदि परेशानी दूर करने में काम आती हैं।
Neem की टहनी मलेरिया में, पेट या आंतों के अल्सर, स्किन डिजीज, दांत और मसूड़ों की परेशानी आदि में काम आती है। नीम की दातुन Neem ki datun का उपयोग आज भी कई लोग करते है। यह दातुन बाजार में भी मिलती है। इससे दांत में प्लाक जमना कम होता है तथा मसूड़ों में सूजन या खून आना , मुंह से बदबू आना आदि से बचाव होता है।
नीम का फल जिसे निमोड़ि Nimodi या निम्बोड़ि Nimbodi कहते हैं बवासीर, पेट के कीड़े, नकसीर, पेशाब की तकलीफ, कफ, घाव, डायबिटीज, आँखों की परेशानी आदि में काम आता है।
Neem के फूल पित्त कम करने में, कफ मिटाने में तथा पेट के कीड़े मिटाने में काम आते हैं।
Neem का तेल बालों के लिए, लिवर की ताकत के लिए, खून साफ करने के लिए, तथा खून में शक्कर की मात्रा कम करने के लिए काम में लिया जाता है।
कीटनाशक के रूप में (As A Pesticide)-
नीम की पत्तियों को अलमारी में रखा जाता है ताकि कपड़े कीटों से बचे रहें। इन्हे गेहूं या चावल आदि भरने से पहले ड्रम या पीपे आदि में नीचे बिछाया जाता है ताकि उनमे कीड़े ना पड़ें। Neem की पत्तियां जलाकर मच्छरों को दूर किया जाता है।
नीम की पत्ती का खाद बनता है, जिसका उपयोग करने से फसल कई प्रकार की बीमारियों से बच सकती हैं। घर में गमलों में लगाए जाने वाले पौधे पर पानी में Neem का तेल डालकर छिड़काव करने से पौधे पर लगे कीट नष्ट हो जाते हैं।
निम्बोड़ी के बीज को पीस कर पाउडर बनाया जाता है फिर इसे पानी में रात भर भिगोते हैं। इस पानी को फसल पर छिड़कने से यह कीटों से बचाव करता है। यह कीड़ों को सीधे ही नहीं मारता लेकिन इसके छिड़कने से कीड़ो का पत्ती खाना, पत्तियों पर अंडे देना आदि बंद हो जाता है।
इस तरह से फसल ख़राब होने से बच जाती है। नीम कीटों का अंडे से बाहर निकलना भी रोकता है। Neem का तेल दीमक के उपचार में भी काम करता है।
खाने पीने में (To Eat And Drink)-
नीम के फूल का उपयोग दक्षिण भारत में मनाये जाने वाले त्यौहार ‘ उगादी ‘ के समय किया जाता है। Neem के फूल और गुड़ खाकर ‘उगादी’ त्यौहार मनाया जाता है। दक्षिण भारत में कर्नाटक में Neem के ताजा फूल से कढ़ी बनाई जाती है। ताजा फूल ना हों तो सूखे फूल काम में लिए जाते हैं।
तमिलनाडु में इमली से बनाई जाने वाली रसम में इसे डाला जाता है। बंगाल में Neem की कोमल पत्ती और बैंगन की सब्जी बनाई जाती है। इसे चावल के साथ खाया जाता है।
महाराष्ट्र में गुडी पड़वा यानि नववर्ष की शुरुआत, थोड़ी मात्रा में Neem की पत्ती या उसके रस का सेवन करके की जाती है। इससे मौसम के बदलाव के कारण होने वाली परेशानी तथा पित्त विकार से बचाव होता है।
नीम की पत्ती कड़वी होने के कारण पित्त शांत करने वाली मानी जाती है। चैत्र महीने में कोमल नीम की पत्ती का सेवन करना लाभप्रद होता है। अक्सर चैत्र महीने में जानकार लोग Neem की कोमल पत्ती तोड़कर खाते दिखाई देते है।
नीम के फायदे (Benefits Of Neem):
वाइरस का संक्रमण (Virus Infection)-
वाइरस के कारण होने वाले चिकन पॉक्स, स्माल पॉक्स यानि चेचक या बोदरी जैसी बीमारियों को फैलने से रोकने में नीम का उपयोग किया जाता रहा है। Neem की पत्ती को पीस कर लगाने से त्वचा पर दूसरी जगह वाइरस नहीं फैलता। यह हर्पीज़ जैसे हानिकारक वाइरस को भीमिटा सकता है।
चिकन पॉक्स होने पर नीम की पत्तियां पानी में उबाल कर इस पानी से नहाना बहुत लाभदायक होता है। इससे त्वचा को आराम मिलता है और यह संक्रमण अन्य स्थान पर नहीं फैलता।
त्वचा के रोगों में Neem की पत्ती पानी में उबाल कर इस पानी से नहाने से बहुत लाभ होता है। इससे त्वचा की खुजली या जलन आदि में भी आराम मिलता है। यह पानी पीने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं और आंतों की कार्यविधि सुधरती है।
हृदय की देखभाल (Cardiovascular Care)-
नीम की पत्ती पानी में उबाल कर यह पानी पीने से नसों में लचीलापन आता है इससे हृदय पर दबाव कम होता है। यह हृदय की धड़कन नियमित करने में सहायक होता है और इस प्रकार उच्च रक्तचाप High Blood Pressure को कंट्रोल करता है।
कीड़े का काटना (Insect Bite)-
नीम की पत्ती पीस कर लगाने से कीड़े के काटने के कारण होने वाली सूजन और जलन में आराम मिलता है।
मलेरिया (Malaria)-
नीम की पत्तियां का उपयोग मलेरिया बुखार को रोकने में कारगर पाया गया है। Neem की पत्तियां मच्छर को पनपने से रोकती हैं। मलेरिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
आँखों के लिए (For Eyes)-
ताजा नीम की पत्तियाँ पानी में उबाल कर इस पानी के ठंडा होने पर आँख धोने से कंजंक्टिवाइटिस तथा आँख लाल होना, आँख में जलन आदि में लाभ होता है।
जोड़ों का दर्द (Joint Pain)-
नीम का तेल लगाने से मांसपेशियों तथा जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है।
स्किन (Skin)-
नीम की पत्ती त्वचा की सुंदरता बढ़ाने में मददगार हो सकती है। नीम की पिसी हुई पत्ती और हल्दी मिलाकर लगाने से मुँहासे, फुंसी, ऐक्ने आदि ठीक होते हैं। स्किन का हर प्रकार का इन्फेक्शन मिटता है। त्वचा कोमल होती है।
Neem की पत्ती डालकर उबाला हुआ पानी स्किन टोनर की तरह काम करता है। इसके उपयोग से मुँहासे, स्कार, ब्लेक हेड आदि मिटते है और रंग निखरता है।
इसका फेस पैक भी बनाया जा सकता है। इसके लिए थोड़े से पानी में कुछ नीम की पत्ती और संतरे के छिलके उबाल लें। छान कर पानी ठंडा कर लें। इसमें मुल्तानी मिट्टी, दही, शहद और दूध मिलाकर स्मूथ पेस्ट बना लें।
इसे चेहरे पर लगाकर सूखने दें फिर धो लें। इससे चेहरे पर कांति आ जाती है और फोड़े फुंसी, ब्लेक हेड, व्हाइट हेड आदि मिट जाते हैं।
बालों के लिए (For Hair)-
Neem की पत्ती डाल कर उबाला हुआ पानी से सिर धोने से डैंड्रफ ठीक होती है। बाल गिरना कम हो जाते हैं।
नीम के उपयोग में सावधानी (Caution In The Use Of Neem):
नीम एक औषधि है। किसी भी औषधि को लेने के कुछ नियम परहेज आदि होते है अन्यथा औषधि नुकसानदेह भी हो सकती है। Neem के उपयोग में भी सावधानी आवश्यक है। अतः इन बातों का ध्यान जरूर रखें।
- बच्चों के लिए नीम का तेल या पत्ती का उपयोग नुकसान देह हो सकता है। छोटे बच्चों के लिए Neem विषैला साबित हो सकता है। इससे उल्टी, दस्त, चक्कर आना, बेहोशी आदि लक्षण प्रकट हो सकते हैं। छोटे बच्चों को नीम की पत्ती या तेल आदि मुंह के द्वारा नहीं दिया जाना चाहिए।
- गर्भावस्था में तथा स्तनपान कराने वाली माँ को नीम की पत्ती नहीं खानी चाहिए। नीम का सेवन गर्भपात का कारण बन सकता है।
- लम्बे समय तक Neem के तेल का उपयोग हानिकारक होता है। इससे किडनी और लीवर को नुकसान हो सकता है।
- यदि कोई ऐसी दवा चल रही हो जिसमे लिथियम हो तो Neem का उपयोग नुकसानदेह हो सकता है अतः चिकित्स्क की सलाह जरूर लें।
- यदि बच्चा चाहते हों तो नीम का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह शुक्राणु को कमजोर कर सकता है।
- यदि किसी प्रकार अंग प्रत्यारोपण का ऑपरेशन करवाया हो तो Neem का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे दवा का असर कम होने की संभावना होती है।
- डायबिटीज की दवा चल रही हो तो Neem का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए। नीम भी रक्त में शुगर की मात्रा को कम करता है।
- किसी भी प्रकार के ऑपरेशन के आस पास के दिनों में Neem का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- इम्यून सिस्टम से सम्बंधित दवा चल रही हो तो नीम के कारण दवा का असर कम हो सकता है, अतः सावधान रहें|
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